International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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सतत् विकास और पर्यावरण: भारत की संभावनाएं और चुनौतियां

Author(s) Mr. ज़ीशान अहमद, आशीष कुमार गुप्ता
Country India
Abstract भारत, एक विकासशील राष्ट्र के रूप में, सतत् विकास और पर्यावरण संरक्षण के दोहरे मोर्चे पर खड़ा है। एक तरफ, देश को अपनी बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने और आर्थिक विकास को गति देने की आवश्यकता है। दूसरी तरफ, प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता का नुकसान जैसी गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पर्यावरण संरक्षण के लिए कई नीतियां और कार्यक्रम शुरू किए हैं। इनमें स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम, राष्ट्रीय जल मिशन, राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं शामिल हैं। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद, भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, औद्योगीकरण और कृषि में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग पर्यावरण पर दबाव बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा, गरीबी, असमानता और जागरूकता की कमी भी सतत् विकास के मार्ग में बाधाएं हैं।भारत के पास सतत् विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए अपार संभावनाएं हैं। देश में नवीकरणीय ऊर्जा के विशाल स्रोत, समृद्ध जैव विविधता और पारंपरिक ज्ञान मौजूद हैं। इसके अलावा, सरकार और नागरिक समाज के बीच बढ़ती जागरूकता और सहयोग से इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।
सतत् विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत को एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। इसमें आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करना, सभी हितधारकों को शामिल करना और नवाचार और प्रौद्योगिकी का उपयोग करना शामिल है।
Keywords सतत् विकास, पर्यावरण संरक्षण, भारत, चुनौतियां, संभावनाएं, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, जैव विविधता, नवीकरणीय ऊर्जा।
Field Sociology > Politics
Published In Volume 7, Issue 2, March-April 2025
Published On 2025-03-17
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2025.v07i02.39027
Short DOI https://doi.org/g892p8

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