
International Journal For Multidisciplinary Research
E-ISSN: 2582-2160
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Volume 7 Issue 2
March-April 2025
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स्त्रियों की सुरक्षा एवं संरक्षा: विषय, कानून, नीतियाँ और सुझाव (नारी सशक्तिकरण)
Author(s) | Mr. Anil Kumar Singh Kushwaha |
---|---|
Country | India |
Abstract | भारत में भी महिला सुरक्षा एवं संरक्षा पर प्राचीन काल से ही प्रश्न उठते रहे है। इसके अनेक उदाहरण रामायण और महाभारत काल में भी पाया जाता है। यह मुद्दा अति संवेदनशील है। परन्तु इसे पूर्णतया सही नहीं कहा जा सकता है क्योंकि कुछ एसे भी समाज पाये जाते है जो मातृसत्तात्मक होते है जैसे भारत में पूर्वोत्तर की खासी व कुछ अन्य जनजातियो में मातृसत्तात्मक समाज की अवधारणा पायी जाती है। विश्व में भी कुछ एसी जनजातियाँ है जैसे-कोस्टारिका की ब्रिबी जनजाति, चीन की मोसुओ, न्यू गुयाना की नागोविसी जनजाति में मातृसत्तात्मक समाज पाया जाता है। स्त्रियों के प्रति अनेक घटनाएँ घटी जैसे-27 नवम्बर 1973 में रात्रि के समय किंग एडवर्ड अस्पताल, परेल, मुंबई, महाराष्ट्र की एक महत्वपूर्ण घटना है जो सामने आयी। उस अस्पताल में कार्य करने वाली जूनियर नर्स अरूणा रामचंद्र शानबाग की जिंदगी अकल्पनीय भयानक रात थी, क्यों की उसके बाद अरूणा शानबाग (लगभग 42 वर्ष) जीवित रहने के बाद भी उसकी कोई सुबह नहीं हुई। पिछले वर्ष 2024 में 9 अगस्त को पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित R.G.Kar हास्पिटल में 31 वर्षीय महिला इंटर्न शीप की डाक्टर, लगभग 36 घंटे की लगातार की सेवा के बाद सो रही थी, उसके साथ बल पूर्वक शीलभंग तथा उसके आतंरिक पार्ट पर गंभीर चोट पहुचने के उपरांत उसके गले को दबा कर हत्या कर दिया गया है। महिला हिंसा को रोकने के अनेक एक्ट लाये जैसे-हिन्दू विडो रिमैरिज एक्ट 1856, I.P.C. 1860, मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट 1861, मैरिड विमेन प्रापर्टी एक्ट 1874 (समय-समय पर संशोधन होता रहा है), चाइल्ड मैरिज एक्ट 1929, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954, हिन्दू मैरिज एक्ट 1955, फारेन मैरिज एक्ट 1969, इन्डियन डाइवोर्स एक्ट 1969, मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन एक्ट 1986, सेक्सुअल हर्रास्मेंट ऑफ़ वुमन एट वर्किंग वुमन एक्ट 2013 आदि। परन्तु हम आज भी इस हिंसा से निपटने में असमर्थ है, इस भयानक स्थिति से निपटने के लिए कानून के साथ-साथ अपने परिवार के बच्चों में बालिकाओं के साथ सभी के प्रति सम्मान करना सिखाना चाहिए। बच्चों को परिवार, समाज तथा स्कूलों में यह बताना जरूरी है कि महिलाए मात्र भोग-विलास की वस्तु नहीं है बल्कि उन्हें बराबरी का अधिकार तथा सर उठा कर सम्मान से जीने का अधिकार हैं। महिलाओं के प्रति हिंसा को रोकने के लिए बहुत ही कठोर कानून तथा उसके कठोर क्रियान्वयन की आवश्यकता है। |
Keywords | स्त्रियों की सुरक्षा, संवैधानिक प्रावधान, नीतियाँ, मानवीकरण, नैतिक मूल्य, महिला हिंसा। |
Field | Sociology > Education |
Published In | Volume 7, Issue 2, March-April 2025 |
Published On | 2025-03-20 |
DOI | https://doi.org/10.36948/ijfmr.2025.v07i02.39316 |
Short DOI | https://doi.org/g89vvn |
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E-ISSN 2582-2160

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