International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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आधुनिक भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण की आवश्यकता

Author(s) Dr. SHIVALI SHAKYA
Country India
Abstract शोध सारांश–
आज हम देख सकते हैं कि सामान्यतः सभी महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही है। अधिकांश महिलाएं पुरुषों के समान कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही है। महिलाएं घर से बाहर निकलकर समाज व देश को उन्नति की ओर आगे ले जा रही है। महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे है, चाहे वह कला क्षेत्र हो या विज्ञान, चाहे वह धरती हो या आकाश, महिलाओं ने अपना योगदान दिया है। इसके साथ ही घरेलू कार्यों से लेकर बाहर के सभी उद्योग संस्थान, ऑफिस, इंजीनियरिंग क्षेत्र, व्यवसायिक क्षेत्र, राजनीतिक क्षेत्र आदि सभी में महिलाओं की भूमिका बढ़ती ही जा रही है। आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिसमें महिलाओं की भागीदारी न हो। महिलाएं चाहे तो कुछ भी कर सकती है । कहते है कि हर पुरुष की सफलता के पीछे एक महिला का ही हाथ होता है। यह बिलकुल सत्य है , चाहे वह एक माँ के रूप में हो या पत्नी के रूप में हो या पुत्री के रूप में । सभी रूपों में महिलाओं की अहम भूमिका होती है। आज हमारे देश में महिलाओं की भागीदारी आर्थिक रूप से भी बढ़ती जा रही है जिसका प्रभाव हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। देश की अर्थव्यवस्था में GDP के अंतर्गत महिलाओं की भूमिका 17% एवं पुरुषों की संख्या 53.26% है। महिलाओं ने हर क्षेत्र में प्रगति की है। महिलाओं की सशक्त भागीदारी समाज व देश के लिये काफी लाभदायक है। महिलाओं की भागीदारी ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है। सरकार द्वारा महिलाओं को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए बहुत सारी प्रोत्साहन योजनाओं का संचालन किया जा रहा है महिलाओं के समग्र विकास, लैंगिक समानता व न्याय को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण मिशन तैयार किया गया है, जो एक व्यापक मिशन है। उसके माध्यम से महिला के समग्र विकास के लिये प्रयास किये जाएंगे और सामाजिक परिवर्तन के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण किया जाएगा। वास्तव में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत बढ़ा दिया जाए तो देश को विकसित भारत बनाया जा सकता है और यह महिलाओं को समान अवसर व समान अधिकार प्रदान करके ही किया जा सकता है। महिलाएं देश की जननी हैं एवं उसका उत्थान भी महिलाओं के द्वारा ही किया जा सकेगा।
Keywords - सामाजिक न्याय, समग्र विकास, लैंगिक समानता।
Field Mathematics > Economy / Commerce
Published In Volume 7, Issue 2, March-April 2025
Published On 2025-03-29

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