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E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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भारतीय और पाश्चात्य विचारों में पर्यावरणीय बोध

Author(s) डॉ. अनुपम पाठक
Country India
Abstract आज संपूर्ण विश्व में पर्यावरण अवनयन पर्यावरण असंतुलन जैसे शब्द गंभीर चर्चा का विषय है l इस क्रम में पर्यावरणीय असंतुलन और अवनयन को दूर करने के लिए  स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत सारी औपचारिक और अनौपचारिक प्रयास किए जा रहे हैं चाहे वह 1972 का स्टॉकहोम शिखर सम्मेलन हो या 1992 से प्रारंभ हुई पृथ्वी सम्मेलनो श्रंखला सभी प्रयासों का धरातल पर प्रभाव नाममात्र का ही रहा क्योंकि सामान्य जनमानस से पर्यावरण का वास्तविक बोध ही नहीं है l पर्यावरण के संदर्भ में माननीय समझ केवल औपचारिक और उपयोगिता आधारित है वस्तुतः हम समझ ही नहीं पा रहे कि पर्यावरण क्या है l पर्यावरण की संरचना क्रियाशीलता किस प्रकार की है और हमारा पर्यावरण से क्या संबंध है ? आज यदि हम हमारी प्रज्ञा से प्रकृति ,पर्यावरण और मानव के संबंधित समावेशी क्रिया को स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं तो इसके मूल में आज के पर्यावरण के संदर्भ में पश्चात जगत के विचार हैं इसलिए यहां सबसे पहले पर्यावरण बोध को समझना होगा भारतीय और पाश्चात्य विचारों के तुलनात्मक संदर्भ में l
Keywords पर्यावरण बोध, एकात्म, संभववाद, नियतिवाद, पर्यावरण बोध
Field Arts
Published In Volume 4, Issue 5, September-October 2022
Published On 2022-10-31
Cite This भारतीय और पाश्चात्य विचारों में पर्यावरणीय बोध - डॉ. अनुपम पाठक - IJFMR Volume 4, Issue 5, September-October 2022. DOI 10.36948/ijfmr.2022.v04i05.934
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2022.v04i05.934
Short DOI https://doi.org/gq9w8f

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